Specialist: Astrology Science, Hastrekha Astrology Language: Hindi
जानी-मानी ज्योतिषविद् स्वाती सक्सेना को ज्योतिष शास्त्र में गहरी जानकारी के अलावा भारतीय विरासत की अच्छी समझ है और वह एक प्रेरक वक्ता हैं। स्वाती सक्सेना का ज्योतिष के प्रति रूझान अपनी माँ लक्ष्मी सक्सेना जी (नंदानी) से विरासत में मिला। श्री हरि कृपा और अपनी माँ से विरासत मे मिले हस्त रेखा के ज्ञान से 6 साल की उम्र से ही, वह लोगो के भविष्य का सही आकलन और होने वाली घटनाओं को सुनिश्चत करने लगीं।
हस्तरेखा में पारंगत होने के बाद उन्होंने वैदिक ज्योतिषी मे अपना स्थान बनाया। उन्होंने ज्योतिष महामहोपाध्याय पं. के. ए. दुबे पद्मेश जी के मार्गदर्शन में पद्मेश इंस्टीट्यूट आफ वैदिक सांइसेज से ज्योतिष अलंकार और ज्योतिष आचार्य की उपाधि ग्रहण की।
स्वाती सक्सेना को 70 वे राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन गुवाहाटी में वैदिक विभूषण की उपाधि से श्री कलराज मिश्र द्वारा अलंकृत किया गया।
स्वाती सक्सेना ने ज्योतिष महाकुंभ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से देहरादून में सम्मान प्राप्त किया और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से कानपुर मे सम्मान प्राप्त किया। हस्तरेखा, वैदिक ज्योतिष व फेस रीडिंग के क्षेत्र में करीब 26 वर्षों से काम करते हुए आपने देश-दुनिया के हजारों लोगों के बारे में सटीक भविष्यवाणियां और उनका मार्गदर्शन किया।
वैदिक ज्योतिष के मतानुसार स्वाती सक्सेना का मानना है कि मनुष्य का जीवन कर्म और भाग्य दोनों से चलता है। आप का मुख्य फोकस इस बात पर रहता है कि भाग्य और कर्म के आधार पर भविष्यवाणी की जाए।
ज्योतिष के परंपरागत ज्ञान और मंत्र जाप की मदद से वह ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव पर पूरी नजर रखती हैं। वर्तमान समय में ज्योतिष के तमाम मिथकों को ध्वस्त करने और कर्म और ज्योतिष से संबंधित संभावित प्रश्नों के जवाब देने के लिए एक पुस्तक पर काम कर रही हैं। स्वाती सक्सेना का लक्ष्य ज्योतिष के मूल्य को लोगों तक पहुंचाना है, ताकि सभी के पास ज्योतिष की सटीक जानकारी पहुंच सके।